Mahesh Janib
डूबने को इस लिए तैयार है -
प्यास से मरना बड़ा दुश्वार है -
मसअला अपना विसाले-यार है-
कोई हो नाकाम हर सरकार है -
इल्मे-दायम अब यहाँ बेकार है -
आजकल मक़बूल बस अखबार है -
रोज़ जाते हैं इधर से क़ाफ़िले
फिर भी ये राहे-जहाँ पुरख़ार है -
सामने है कायनाते-बेकराँ
रौशनी की तुंद गर रफ़्तार है -
आदमी है सिर्फ़ इक सारिफ़ यहाँ
दुनिया क्या है अब फ़क़त बाज़ार है -
मोहसिन भी है अगर ख़ुदगर्ज़ है
आदमी 'जानिब' बहुत हुश्यार है -
_____________________________
१.इल्मे-दायम=शाश्वत ज्ञान २.मक़बूल=
लोकप्रिय ३.पुरखार=काँटों भरा ४.कायनाते-
बेकराँ=असीम संसार ५.तुंद=तीव्र ६.सारिफ़=
उपभोक्ता ७.मोहसिन=परोपकारी
प्यास से मरना बड़ा दुश्वार है -
मसअला अपना विसाले-यार है-
कोई हो नाकाम हर सरकार है -
इल्मे-दायम अब यहाँ बेकार है -
आजकल मक़बूल बस अखबार है -
रोज़ जाते हैं इधर से क़ाफ़िले
फिर भी ये राहे-जहाँ पुरख़ार है -
सामने है कायनाते-बेकराँ
रौशनी की तुंद गर रफ़्तार है -
आदमी है सिर्फ़ इक सारिफ़ यहाँ
दुनिया क्या है अब फ़क़त बाज़ार है -
मोहसिन भी है अगर ख़ुदगर्ज़ है
आदमी 'जानिब' बहुत हुश्यार है -
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१.इल्मे-दायम=शाश्वत ज्ञान २.मक़बूल=
लोकप्रिय ३.पुरखार=काँटों भरा ४.कायनाते-
बेकराँ=असीम संसार ५.तुंद=तीव्र ६.सारिफ़=
उपभोक्ता ७.मोहसिन=परोपकारी