For Bhartiya Viday Bhavan, Australia

मेलबर्न में हास्य कवी अशोक चक्रधर का कवि सम्मेलन
मेलबर्न के नार्थकट कम्युनिटी हाल में दिनांक २० मई २०१२ को साहित्य संध्या तथा नरीसा (NRISA) के तत्वाधान में एक महा कवि सम्मलेन " हास्य और हसीना" का आयोजन हुआ | इस आयोजन के केंद्र बिंदु अतिथि भारत के जाने माने हास्य एवं व्यंग के कविराज प्रोफ़ेसर अशोक चक्रधर जी थे| कार्यक्रम में उदघोषण का कार्य भार प्रोफ़ेसर नलिन शारदा ने संभाला | कार्यक्रम ठीक ५ बजे प्रारंभ हुआ तथा हाल लोगों से खचाखच भरा था |
कार्यक्रम के पहले चरण में साहित्य संध्या के कवियों ने अपनी अपनी कविता सुनाकर उपस्थित श्रोताओं का मन मोहा | सबसे पहले चंद्रा बेन झा ने सरस्वती बंदना से कार्यक्रम का श्रीगणेश किया और एक छोटी सी कविता भ़ी सुनायी | तत्पश्चात डा. ब्लिस डेविड ने हसीना के दिल में मकान किराए पर लेने की बात की और श्रोता हँसी के फब्बारों में नहा गए | आस्ट्रेलिया के जाने माने कवी श्री हरी हर झा ने बाग़ डोर संभाली और अपनी हसीना यानी कि पत्नी को मायके जाने की सलाह दी जो लोगों को बहुत पसंद आयी और लोग ठहाके बीच बीच में नहीं रोक पाए |
कार्यक्रम को मोड़ देने के लिए श्री सुशील शर्मा जी ने एक फ़िल्मी गीत गाया उनके गीत में कविता के शब्द ,गायन और संगीत ने श्रोताओं को भाव बिभोर कर दिया| उभरते कवी श्री मनमोहन सक्सेना दिल की बात की और अस्पतालों के बिल पर ले लाए जो हँसी के साथ दिल की गहराइयों को छू गयी | उन्होंने लोगों को यह भ़ी बता दिया कि आज नलिन जी का ६० वां जन्म दिन है, तुरंत ही हाल में हैप्पी बर्थ डे नलिन की आवाज गूंजने लगी | जैसे ही जनता शांत हुयी महिलाओं में अग्रणी महिला कवियत्री श्रीमती मृदुला ककड़ जो अपनी गभीर और हास्य कविता के लिए जानी जाती हैं उन्होंने पती , बीबी और सास का किस्सा सुनाकर कविता से लोगों का हंस कर और हंसा कर मन मोह लिया | श्री अरविन्द गैन्धर जी हास्य के ठहाके लगवाने के लिए एक ऐसी कविता चुन कर लाये जिसमें महीने के अंत में तनखा मिलने के पहले के बुरे हाल का किस्सा सुनाकर लोगों को हँसी से बेहाल कर दिया |
कार्यक्रम में फिर एक मोड़ आया जब सुनीला पटेल ने कयामत का जिक्र किया और एक मधुर गीत केरीओकी पर सुनाया " ज़िक्र होता है जब क़यामत का, तेरे जलाबों की बात होती है" और श्रोताओं को मन्त्र मुग्ध कर दिया | साहित्य संध्या के ही बरिष्ठ कवी श्री राजेन्द्र चोपरा जी जो जाने माने व्यंगकार कवी है उन्होंने अपनी कविता कला का प्रदर्शन किया और "शब्दों का कायल" जैसी कविता से लोगों को हंसने पर मजबूर कर दिया इसके साथ ही उन्होंने कुछ और भ़ी छोटी छोटी कवितायें सुनायी | उन्ही के बाद दूसरे चोपरा डा. सेफ चोपरा जी अपनी नाजुक सेहत के बाबजूद भ़ी कवी सम्मलेन में भाग लेने आए और उन्होंने जीवन का रहस्य और अपने उम्र के तकाजे से जुडी कविता के माध्यम से एक हकीकत बतायी जो लोगों के होटों पर मुस्कान लाई और नरीसा के बरिष्ठ नागरिकों तथा सदस्यों को एक सन्देश भ़ी दे गयी |
अभी बाकी बचे कवियों की बारी आए इसी बीच कविराज चक्रधर जी का आगमन हुआ | तालियों की गडगडाहट से हाल गूँज उठा | कार्यक्रम के तारतम्य को बिना तोड़े स्काइप के माध्यम से साहित्य संध्या के जाने माने कवी डा. सुभाष शर्मा को क्वींसलैंड के ग्लैडस्टन नगर से आमंत्रित किया गया | सुभाष ने पहले तो हास्य में हँसी ना पर व्यंग कसा फिर नलिन जी के बालों के रंग को लेकर उनपर चुटकी ली और बाद में अशोक चक्रधर जी की महानता के पुल बांधे | इस के साथ ही अपनी प्रमुख कविता "सात रंग की सुन्दर किरणें" में उन महिलायों के बारे में बताया जिन्हें पति से अधिक टीवी प्यारा है और बताया इस चक्कर में उनके घर पर सात दिनों से खाना नहीं बना है| कविता सुन कर श्रोता हँसी से ओत प्रोत होगये |
ठीक इसके बाद मध्यांतर देने की जगह अल्पाहार का वितरण प्रारंभ हुआ चक्रधर जी के सुझाव पर कार्यक्रम चलता रहा, वह भोजन समाप्त ही कर पाए कि उनका स्वागत औपचारिक रूप से आस्ट्रेलिया के जाने माने हिन्दी प्रचारक एवं प्रसारक डा. दिनेश श्रीवास्तव ने उन्हें एक भारतीय तिरंगे बाली शाल पहना कर किया | हास्य कवी अपने को रोक नहीं पाए और सीधे ही मंच पर विराजमान होगये पहले उन्होंने सुभाष शर्मा की खिंचाई की और शुरूआत ही ठहाकों से की फिर आस्ट्रेलिया में कविता में रूचि के प्रति उदगार प्रकट किये साथ ही साहित्य संध्या के प्रयत्नों की तथा कवियों की सराहना भ़ी की | पाठक शायद जानते ही होंगे कि चक्रधर जी हास्य कवी स्व. काका हाथरसी के दामाद भ़ी हैं उन्होंने एक कविता काका जी की सुनाकर सुभाष की जो खिंचाई की कि श्रोता हँसी से ओत प्रोत होगये | और आश्चर्य प्रगट किया कि स्काइप के माध्यम से उन्होंने कविसम्मेलन पहली बार देखा है और उसे सराहा भ़ी | कविता के माध्यम से हंसाना और हंसा कर सोचने पर मजबूर करना ही इस कवी की विशेषता है, चक्रधर जी ने लहर से समुन्दर की उम्र पूछने की छोटी सी बात में लोगों को हंसते हंसते एक बड़ा पैगाम दे दिया | फिर उन्होंने छोटी छोटी कविताओं की फुल झड़ियों की झड़ी लगा दी कभी हँसी से मौत को हराने की बात की तो कभी बेनी प्रसाद की आह और बच्चों पर हुए नितिहारी गाँव में अत्याचार की बात याद दिलाई
अपनी जातक कथाएं और जंगल की कहानियां कविता के माध्यम से सुनाकर राजनीति पर जो कटाक्ष किया वह सुनते ही बनता था | थोड़ा गले को आराम देने के लिए साथ आयी अपनी पत्नी अर्थात काका हाथरसी की पुत्री बागेशवरी जी को उन्होंने मंच पर आमंत्रित किया और उन्होंने एक लक्ष्मी मैय्या की स्तुति सुना कर जिसमें अडीडास के जूते से लेकर बड़ी बड़ी कंपनियों के प्रोप्राइटर बनाने की कामना कर डाली और हंसा कर लोगों को बेहाल कर दिया | चक्रधर जी ने फिर कमान संभाल ली और "नारी के सबाल अनाडी के जबाब" से कुछ पंक्तिया भ़ी लोगों को सुनायी जो हँसी में हँसी जोड़ती चली गयीं | अब उन्होंने कविता को एक नया रूप देदिया और अपनी चहुमुखी प्रतिभा का एक प्रदर्शन करने के लिए एकता कपूर की नयी फिल्म में जो गीत लिखा है सुनाया - जो बंगला संगीत की धुन पर आधारित था और चिड़िया के साथ गगन में ऐसी उड़ान भरी कि मानो सब श्रोता चिड़िया के साथ साथ आसमान में उड़ने लगे | अब वह तुरंत अपनी पुरानी हास्य और व्यंग की शैली पर आगये उन्होंने ने अपनी लम्बी कविता अधेड़ उम्र के लोगों पर सुनायी और हाल में बैठे सभी लोगों को ठहाकों के साथ मस्त कर दिया |
चक्रधर जी ने अपनी कविता में बार बार राजनीति पर वार किया और हवाला और घोटाला जैसे शब्दों को तोड़ मरोड़ कर क्या शब्दों के साथ खेलने की प्रतिभा दिखाई कि दर्शक हंसते हंसते लोट पोट हो गए | आजकल की समस्याओं जैसे बलैक मनी को श्याम धन कह कर शास्त्रीय संगीत में ढाल कर क्या व्यंग कसा और अपने अलाप से लोगों को मन्त्र मुग्ध कर दिया | अपनी व्यंग कसने की प्रतिभा का अद्भुत परिचय उन्होंने हास्य को कब्बाली गीत और शास्त्रीय संगीत में लपेट कर राजनीतिक, सामजिक तथा व्यवहारिक समस्यायों के माध्यम से राजनीतिज्ञों पर करारा प्रहार किया | उन्होंने विद्यार्थी और शिष्य के एस एम एस मेसेज को लेकर भ़ी खूब ठहाके लग बाए | कार्यक्रम का अंत एक अपनी जानी मानी कविता "भ्रष्टाचार" से किया जिसमें हिन्दी के शब्दों के साथ क्या चतुराई और विद्वता का परिचय दिया कि व्यंग और हास्य को नयी ऊंचाई पर लेजाकर छोड़ा और अपनी विलक्षण प्रतिभा से जो हिन्दी कम जानने बाले उनके भ़ी पेट में हंसा हंसा कर दर्द कर दिया |
कार्यक्रम का समापन नलिन जी ने प्रोफ़ेसर चक्रधर जी को एक स्मृति चिन्ह (प्लाक ) दिलवाकर किया जो साहित्य संध्या, नरीसा और भारतीय विद्याभवन की ओर से मंच पर श्री हरी हर झा, श्री सुशील शर्मा और श्री गंभीर वत्स ने प्रोफ़ेसर चक्रधर को भेंट किया | नलिन जी ने मेलबर्न की सभी संस्थाओं का जिन्होंने चक्रधर जी को बुलाने के लिए प्रयास किये उनकी प्रशंशा की तथा अपने सभी सहयोगियों को धन्यवाद दिया और विशेष रूप से सिडनी की श्रीमती रेखा राजवंशी और भारतीय विद्याभवन के श्री गंभीर वत्स का विशेष आभार प्रकट किया जिनके प्रयासों से चक्रधर जी का मेलबर्न में कार्यक्रम संपन्न हुआ | यद्यपि श्रोताओं का कविता सुनकर पेट अभी भ़ी नहीं भरा पर कार्यक्रम का समापन ठीक ९ बजे होगया | ऐसा कविसम्मेलन मेलबर्न में शायद पहले कभी नहीं हुआ होगा श्रोता इसे सालों साल तक याद रखेंगे और चक्रधर जैसे कवि के आने की पुनः प्रतीक्षा करेंगे |
सुभाष शर्मा
मेलबर्न के नार्थकट कम्युनिटी हाल में दिनांक २० मई २०१२ को साहित्य संध्या तथा नरीसा (NRISA) के तत्वाधान में एक महा कवि सम्मलेन " हास्य और हसीना" का आयोजन हुआ | इस आयोजन के केंद्र बिंदु अतिथि भारत के जाने माने हास्य एवं व्यंग के कविराज प्रोफ़ेसर अशोक चक्रधर जी थे| कार्यक्रम में उदघोषण का कार्य भार प्रोफ़ेसर नलिन शारदा ने संभाला | कार्यक्रम ठीक ५ बजे प्रारंभ हुआ तथा हाल लोगों से खचाखच भरा था |
कार्यक्रम के पहले चरण में साहित्य संध्या के कवियों ने अपनी अपनी कविता सुनाकर उपस्थित श्रोताओं का मन मोहा | सबसे पहले चंद्रा बेन झा ने सरस्वती बंदना से कार्यक्रम का श्रीगणेश किया और एक छोटी सी कविता भ़ी सुनायी | तत्पश्चात डा. ब्लिस डेविड ने हसीना के दिल में मकान किराए पर लेने की बात की और श्रोता हँसी के फब्बारों में नहा गए | आस्ट्रेलिया के जाने माने कवी श्री हरी हर झा ने बाग़ डोर संभाली और अपनी हसीना यानी कि पत्नी को मायके जाने की सलाह दी जो लोगों को बहुत पसंद आयी और लोग ठहाके बीच बीच में नहीं रोक पाए |
कार्यक्रम को मोड़ देने के लिए श्री सुशील शर्मा जी ने एक फ़िल्मी गीत गाया उनके गीत में कविता के शब्द ,गायन और संगीत ने श्रोताओं को भाव बिभोर कर दिया| उभरते कवी श्री मनमोहन सक्सेना दिल की बात की और अस्पतालों के बिल पर ले लाए जो हँसी के साथ दिल की गहराइयों को छू गयी | उन्होंने लोगों को यह भ़ी बता दिया कि आज नलिन जी का ६० वां जन्म दिन है, तुरंत ही हाल में हैप्पी बर्थ डे नलिन की आवाज गूंजने लगी | जैसे ही जनता शांत हुयी महिलाओं में अग्रणी महिला कवियत्री श्रीमती मृदुला ककड़ जो अपनी गभीर और हास्य कविता के लिए जानी जाती हैं उन्होंने पती , बीबी और सास का किस्सा सुनाकर कविता से लोगों का हंस कर और हंसा कर मन मोह लिया | श्री अरविन्द गैन्धर जी हास्य के ठहाके लगवाने के लिए एक ऐसी कविता चुन कर लाये जिसमें महीने के अंत में तनखा मिलने के पहले के बुरे हाल का किस्सा सुनाकर लोगों को हँसी से बेहाल कर दिया |
कार्यक्रम में फिर एक मोड़ आया जब सुनीला पटेल ने कयामत का जिक्र किया और एक मधुर गीत केरीओकी पर सुनाया " ज़िक्र होता है जब क़यामत का, तेरे जलाबों की बात होती है" और श्रोताओं को मन्त्र मुग्ध कर दिया | साहित्य संध्या के ही बरिष्ठ कवी श्री राजेन्द्र चोपरा जी जो जाने माने व्यंगकार कवी है उन्होंने अपनी कविता कला का प्रदर्शन किया और "शब्दों का कायल" जैसी कविता से लोगों को हंसने पर मजबूर कर दिया इसके साथ ही उन्होंने कुछ और भ़ी छोटी छोटी कवितायें सुनायी | उन्ही के बाद दूसरे चोपरा डा. सेफ चोपरा जी अपनी नाजुक सेहत के बाबजूद भ़ी कवी सम्मलेन में भाग लेने आए और उन्होंने जीवन का रहस्य और अपने उम्र के तकाजे से जुडी कविता के माध्यम से एक हकीकत बतायी जो लोगों के होटों पर मुस्कान लाई और नरीसा के बरिष्ठ नागरिकों तथा सदस्यों को एक सन्देश भ़ी दे गयी |
अभी बाकी बचे कवियों की बारी आए इसी बीच कविराज चक्रधर जी का आगमन हुआ | तालियों की गडगडाहट से हाल गूँज उठा | कार्यक्रम के तारतम्य को बिना तोड़े स्काइप के माध्यम से साहित्य संध्या के जाने माने कवी डा. सुभाष शर्मा को क्वींसलैंड के ग्लैडस्टन नगर से आमंत्रित किया गया | सुभाष ने पहले तो हास्य में हँसी ना पर व्यंग कसा फिर नलिन जी के बालों के रंग को लेकर उनपर चुटकी ली और बाद में अशोक चक्रधर जी की महानता के पुल बांधे | इस के साथ ही अपनी प्रमुख कविता "सात रंग की सुन्दर किरणें" में उन महिलायों के बारे में बताया जिन्हें पति से अधिक टीवी प्यारा है और बताया इस चक्कर में उनके घर पर सात दिनों से खाना नहीं बना है| कविता सुन कर श्रोता हँसी से ओत प्रोत होगये |
ठीक इसके बाद मध्यांतर देने की जगह अल्पाहार का वितरण प्रारंभ हुआ चक्रधर जी के सुझाव पर कार्यक्रम चलता रहा, वह भोजन समाप्त ही कर पाए कि उनका स्वागत औपचारिक रूप से आस्ट्रेलिया के जाने माने हिन्दी प्रचारक एवं प्रसारक डा. दिनेश श्रीवास्तव ने उन्हें एक भारतीय तिरंगे बाली शाल पहना कर किया | हास्य कवी अपने को रोक नहीं पाए और सीधे ही मंच पर विराजमान होगये पहले उन्होंने सुभाष शर्मा की खिंचाई की और शुरूआत ही ठहाकों से की फिर आस्ट्रेलिया में कविता में रूचि के प्रति उदगार प्रकट किये साथ ही साहित्य संध्या के प्रयत्नों की तथा कवियों की सराहना भ़ी की | पाठक शायद जानते ही होंगे कि चक्रधर जी हास्य कवी स्व. काका हाथरसी के दामाद भ़ी हैं उन्होंने एक कविता काका जी की सुनाकर सुभाष की जो खिंचाई की कि श्रोता हँसी से ओत प्रोत होगये | और आश्चर्य प्रगट किया कि स्काइप के माध्यम से उन्होंने कविसम्मेलन पहली बार देखा है और उसे सराहा भ़ी | कविता के माध्यम से हंसाना और हंसा कर सोचने पर मजबूर करना ही इस कवी की विशेषता है, चक्रधर जी ने लहर से समुन्दर की उम्र पूछने की छोटी सी बात में लोगों को हंसते हंसते एक बड़ा पैगाम दे दिया | फिर उन्होंने छोटी छोटी कविताओं की फुल झड़ियों की झड़ी लगा दी कभी हँसी से मौत को हराने की बात की तो कभी बेनी प्रसाद की आह और बच्चों पर हुए नितिहारी गाँव में अत्याचार की बात याद दिलाई
अपनी जातक कथाएं और जंगल की कहानियां कविता के माध्यम से सुनाकर राजनीति पर जो कटाक्ष किया वह सुनते ही बनता था | थोड़ा गले को आराम देने के लिए साथ आयी अपनी पत्नी अर्थात काका हाथरसी की पुत्री बागेशवरी जी को उन्होंने मंच पर आमंत्रित किया और उन्होंने एक लक्ष्मी मैय्या की स्तुति सुना कर जिसमें अडीडास के जूते से लेकर बड़ी बड़ी कंपनियों के प्रोप्राइटर बनाने की कामना कर डाली और हंसा कर लोगों को बेहाल कर दिया | चक्रधर जी ने फिर कमान संभाल ली और "नारी के सबाल अनाडी के जबाब" से कुछ पंक्तिया भ़ी लोगों को सुनायी जो हँसी में हँसी जोड़ती चली गयीं | अब उन्होंने कविता को एक नया रूप देदिया और अपनी चहुमुखी प्रतिभा का एक प्रदर्शन करने के लिए एकता कपूर की नयी फिल्म में जो गीत लिखा है सुनाया - जो बंगला संगीत की धुन पर आधारित था और चिड़िया के साथ गगन में ऐसी उड़ान भरी कि मानो सब श्रोता चिड़िया के साथ साथ आसमान में उड़ने लगे | अब वह तुरंत अपनी पुरानी हास्य और व्यंग की शैली पर आगये उन्होंने ने अपनी लम्बी कविता अधेड़ उम्र के लोगों पर सुनायी और हाल में बैठे सभी लोगों को ठहाकों के साथ मस्त कर दिया |
चक्रधर जी ने अपनी कविता में बार बार राजनीति पर वार किया और हवाला और घोटाला जैसे शब्दों को तोड़ मरोड़ कर क्या शब्दों के साथ खेलने की प्रतिभा दिखाई कि दर्शक हंसते हंसते लोट पोट हो गए | आजकल की समस्याओं जैसे बलैक मनी को श्याम धन कह कर शास्त्रीय संगीत में ढाल कर क्या व्यंग कसा और अपने अलाप से लोगों को मन्त्र मुग्ध कर दिया | अपनी व्यंग कसने की प्रतिभा का अद्भुत परिचय उन्होंने हास्य को कब्बाली गीत और शास्त्रीय संगीत में लपेट कर राजनीतिक, सामजिक तथा व्यवहारिक समस्यायों के माध्यम से राजनीतिज्ञों पर करारा प्रहार किया | उन्होंने विद्यार्थी और शिष्य के एस एम एस मेसेज को लेकर भ़ी खूब ठहाके लग बाए | कार्यक्रम का अंत एक अपनी जानी मानी कविता "भ्रष्टाचार" से किया जिसमें हिन्दी के शब्दों के साथ क्या चतुराई और विद्वता का परिचय दिया कि व्यंग और हास्य को नयी ऊंचाई पर लेजाकर छोड़ा और अपनी विलक्षण प्रतिभा से जो हिन्दी कम जानने बाले उनके भ़ी पेट में हंसा हंसा कर दर्द कर दिया |
कार्यक्रम का समापन नलिन जी ने प्रोफ़ेसर चक्रधर जी को एक स्मृति चिन्ह (प्लाक ) दिलवाकर किया जो साहित्य संध्या, नरीसा और भारतीय विद्याभवन की ओर से मंच पर श्री हरी हर झा, श्री सुशील शर्मा और श्री गंभीर वत्स ने प्रोफ़ेसर चक्रधर को भेंट किया | नलिन जी ने मेलबर्न की सभी संस्थाओं का जिन्होंने चक्रधर जी को बुलाने के लिए प्रयास किये उनकी प्रशंशा की तथा अपने सभी सहयोगियों को धन्यवाद दिया और विशेष रूप से सिडनी की श्रीमती रेखा राजवंशी और भारतीय विद्याभवन के श्री गंभीर वत्स का विशेष आभार प्रकट किया जिनके प्रयासों से चक्रधर जी का मेलबर्न में कार्यक्रम संपन्न हुआ | यद्यपि श्रोताओं का कविता सुनकर पेट अभी भ़ी नहीं भरा पर कार्यक्रम का समापन ठीक ९ बजे होगया | ऐसा कविसम्मेलन मेलबर्न में शायद पहले कभी नहीं हुआ होगा श्रोता इसे सालों साल तक याद रखेंगे और चक्रधर जैसे कवि के आने की पुनः प्रतीक्षा करेंगे |
सुभाष शर्मा