अरविन्द गैन्धर
घास
शर्मा जी को उनके फॅमिली डॉक्टर ने बताया था
और उनकी समझ में भी आया था
कि सुबह सुबह सैर करना स्वास्थ के लिए अच्छा रहता है
शारीर के साथ साथ मन भी अच्छा रहता है
इसीलिए शर्मा जी रोज सुबह जल्दी उठ जाते हैं
गेराज से कार निकालते हैं और सैर को निकल जाते हैं
एक दिन सैर करते हुए शर्मा जी ने देखा
और देख कर खिच गई उनके मस्तिष्क पर आश्चर्य की रेखा
एक आदमी बगीचे में बैठा हाथ से घास तोड़ रहा था
घास तोड़ के हाथ को मुंह की तरफ मोड़ रहा था
अच्छी तरह से चबा के घास को खाता था
खत्म हो जाती थी तो और तोड़ता था और खाता था
शर्मा जी हेरान थे
बहुत परेशां थे
ये आदमी घास क्यों खाता है
क्या घास खाना और अच्छे स्वास्थ में कुछ नाता है
सुना था घास खाने से आंखे अच्छी हो जाती हैं
शायद इसीलिए गायं भेंस चश्मा नहीं लगाती हैं
फिर भी रहा न गया उसे बुलाया
बड़े प्यार से अपने पास बैठाया
पूछा तुम दिखने में एक स्वस्थ और अच्छे इंसान नजर आते हो
ये तो बताओ घास क्यों खाते हो
मेरी तुमसे विनम्र प्रार्थना आज है
कहो क्या घास खाना ही तुम्हारी अच्छी सेहत का राज है
आदमी मुस्कुराया
और उसने बताया
मेरे ऊपर पूरे परिवार की जिम्मेदारी है
घास खाना मेरा शोक नहीं लाचारी है
हाँ मैं एक पढ़ा लिखा और स्वस्थ इंसान हूँ
रिशेशन के कारण नोकरी चली गई थोडा परेशान हूँ
जो कुछ बचा है उसे देकर कर्जों की किश्त चुकाता हूँ
खाने के लिए पैसे नहीं हैं इसलिए घास तोड़ता हूँ और खाता हूँ
शर्मा जी बोले ऐसे लोगो की मदद करना मैं अपना फ़र्ज़ समझता हूँ
तुम मेरे साथ चलो देखो मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूँ
आदमी बोला धन्यवाद, आपकी कृपा अपार है
मगर मैं अकेला नहीं हूँ दो बच्चे, बीबी पूरा परिवार है
शर्मा जी बोले मेरे होते बेकार परेशां ना हो जाओ
मैं हूँ न उन्हें भी साथ ले आओ
(वह आदमी शर्मा जी को धन्यवाद देकर परिवार सहित उनकी
कार में बैठ जाता है और उनसे कहता है)
क्या इस संसार मैं अब भी ऐसे नेक इंसान होते हैं
जो दूसरो की ख़ुशी मैं हँसते और गम में रोते हैं
आपने ने मुझे घास खाते देखा आप से रहा न गया
मेरी दुःख भरी दास्ताँ सुनी आप से सहा न गया
आप मेरी मदद के लिए अपने घर ले जा रहे हैं
वाकई नेक काम करने जा रहें हैं
आप वाकई में महान हैं
देश की वास्तविक शान हैं
एक बहुत नेक दिल इंसान हैं
और सच कहूँ मेरे लिए तो भगवान हैं
शर्मा जी बोले ना मैं भगवान हूँ
न ही महान हूँ
मैं तो बहुत ही साधारण इंसान हूँ
आप को घर ले जा रहा हूँ इसमें मेरा भी फ़ायदा है
छे महीने बाद विदेश से वापस आया हूँ घास बढ गई कुछ जायदा है
आप सबको भरपेट खाने को मिल जाएगी
और मुफ्त में मेरे लान की घास कट जाएगी
अरविन्द गैन्धर